सुप्रीम कोर्ट के वकील
विजयलॉहाउस:
सुप्रीम कोर्ट: भारत का सर्वोच्च न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया भारतीय न्यायपालिका का शीर्ष न्यायालय है, जो संवैधानिक और कानूनी विवादों के अंतिम निपटान का मंच प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट केवल न्याय का सर्वोच्च स्थान है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों
सुप्रीम कोर्ट में कौन-कौन से मामले सुने जाते हैं?
संवैधानिक मामले
1. मौलिक अधिकारों का उल्लंघन।
2.
संविधान की व्याख्या से संबंधित मामले।
विशेष अनुमति याचिका
1. उच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय के निर्णय के खिलाफ अपील।
जनहित याचिका
1. बड़े सामाजिक मुद्दों याजनहित से जुड़े मामलों।
फौजदारी और दीवानी अपील
1. हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ अपील।
विशेष मामले
1. चुनावी विवाद, अंतर्राज्यीय विवाद, और राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित संवैधानिक प्रश्न।
120+
सुलझाए गए मामले
130+
खुश ग्राहक
3
क्षेत्रीय कार्यालय
45+
कानूनी सहयोगी
सुप्रीम कोर्ट में अपील कब दाखिल की जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए निम्नलिखित स्थितियों में जा सकते हैं:
न्याय का उल्लंघन या उच्च न्यायालय के फैसले से असहमति: यदि किसी उच्च न्यायालय ने कोई फैसला दिया है और उससे पक्षकार संतुष्ट नहीं है।
मौलिक अधिकारों के हनन के मामले: किसी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार निचली अदालतों में सही तरीके से नहीं सुना गया हो।
विशेष मामलों में जमानत: जब उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज हो गई हो।
सुप्रीम कोर्ट में मामले दायर करने की प्रक्रिया
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AOR):
सुप्रीम कोर्ट में मामले दाखिल करने के लिए केवल AOR दाखिल करने के लिए केवल AOR को अधिकृत किया गया है। विजय लॉ हाउस के पास अनुभवी AOR की टीम है।
याचिका तैयार करना
सभी आवश्यक दस्तावेज, तथ्य, और साक्ष्य के साथ याचिका तैयार करना।
फाइलिंग और रजिस्ट्रेशन
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय में याचिका दाखिल की जाती है।
सुनवाई
सुनवाई की तारीख तय होने के बाद पक्षकारों को अपनी दलीलें और साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
सुप्रीम कोर्ट में विजय लॉ हाउस की विशेषज्ञता
विजय लॉ हाउस, सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न प्रकार के मामलों में कानूनी सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी है। हमारी फर्म ने संवैधानिक, आपराधिक, दीवानी, और अपीली य मामलों में उत्कृष्ट सफलता हासिल की है।
हमारी सेवाएँ
विशेषअनुमतियाचिका (SLP): उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील।
मौलिक अधिकार संरक्षण: संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर याचिका दाखिल करना।
जनहितयाचिका (PIL): सामाजिक और जनहित के मुद्दों पर कानूनी कार्रवाई।
जमानत: अग्रिम और नियमित जमानती की याचिका।
कॉर्पोरेट और व्यावसायिक विवाद: कंपनी कानून और वाणिज्यिक विवाद।
जमानत (Bail) की प्रक्रिया
जमानत का मतलब है कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी के बावजूद अस्थायी रूप से रिहा किया जाए, जब तक कि मुकदमे का निर्णय आ जाए।
जमानत कब लगती है?
गिरफ्तारी के बाद: यदि किसी व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और वह जेल में है।
प्री-एरेस्ट जमानत (Anticipatory Bail): यदि व्यक्ति को गिरफ्तार होने का डर है, तो वह अनुच्छेद 438 CrPC के तहत अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर सकता है।
सामान्यजमानत (Regular Bail): गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दाखिल की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट में जमानत: यदि निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इंकार कर दिया हो।
जमानत की प्रक्रिया:
आवेदन दाखिल करना: याचिका में व्यक्ति की गिरफ्तारी, केस की प्रकृति, और जमानत के लिए उचित आधार प्रस्तुत करना।
सुनवाई: अदालत तथ्यों, आरोपों और केस की गंभीरता की जांच करती है।
शर्तें तय करना: यदि जमानत मंजूर हो जाती है, तो अदालत कुछ शर्तें तय कर सकती है, जैसे पासपोर्ट जमा करना, जमानत राशि भरना आदि।
विजय लॉ हाउस क्यों चुनें?
अनुभवी टीम: सुप्रीमकोर्ट में विशेषज्ञता रखने वाले वकीलों की टीम।
व्यक्तिगत दृष्टिकोण: प्रत्येक मामले का गहन विश्लेषण और रणनीतिक समाधान।
उच्चसफलतादर: संवैधानिक और आपराधिक मामलों में सटीक समाधान।
समर्पित सेवा: समय पर सुनवाई और केस की त्वरित प्रगति।
हमारे कार्य क्षेत्र
दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय,
जिला एवं सत्र न्यायालय।
जयपुर
राजस्थान उच्च न्यायालय
जिला अदालतें।
कोटा
परिवार, संपत्ति, और फौजदारी मामलों में विशेषसहायता।
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साइबर अपराध और जमानत मामला
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ब्लॉग
कानूनी मामलों को सुलझाने में सही वकील का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि आप राजस्थान के जयपुर, कोटा, या सवाई माधोपुर में उच्च न्यायालय में किसी कानूनी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो “एडवोकेट विजय लॉ हाउस” आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है। इस ब्लॉग में…